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किस्सा कुहासा - देश के रंग

बहादुर बिटिया - शिवरानी

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बस गिरते ही शिवरानी ने नहर में लगाई छलांग, दो लोगों की बचाई जान - सीधी बस हादसा सीधी में एक बस बाणसागर नहर में जाकर गिरी जिसमें 54 यात्री थे वहीं पास में एक छात्रा जिनका नाम शिवरानी है वह हादसे के वक़्त अपने भाई के साथ पास में ही थी। नहर में गिरती बस को देख उसने बिना अपनी जान की परवाह कए बिना नहर में छलांग लगा दी और अपनी सूझ बूझ से दो लोगो को किनारे तक ले आयी जिससे उनकी जान बच पाई। इस हादसे में अब तक 47 लोग अपनी जान गंवा चुके है। पूरे प्रदेश को आप पर गर्व है। फोटो- ANI 

Book Review - Lucent's GK

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Book name  - Lucent's सामान्य ज्ञान  Edition - 13th (2020) Lucents Publication, Patna (Bihar)   Language - Hindi  Price - 160 Ask shopkeeper for discount then you should get it in (120-140) 🌼What's Inside  Ye kitab total 11 subject ko listed krti h. O hai - History (pre, mid, modern, world) Geography (Indian & world)  Economics  Polity  Miscellaneous Sports Computer Physics  Chemistry  Bio  Science & Technology.   🌼Why this Book  Simple hai, Agar aap civil services, state psc  या कोई भी  competitive exam की preparation कर रहे हो. To 99.9% ye kitab aapke liye must h. Usme diye hue facts or data itne nectarine dhang se design kiya gya h ki ye exam k liye easy to read or easy to understand hai.  Lekin chalo aapka purpose is kitab ko exam k hisab se kharidne ka nhi h, aap  ko sirf knowledge k purpose se ek kitab chahiye to iske question kbc k hr episode m 1 to mil hi jayega....
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प्रवासी भारतीय दिवस 2020-2021

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9 जनवरी  आखिर इस दिन को ही प्रवासी भारतीय दिवस के रूप ही में क्यों मनाया जाता हैं? प्रवासियों का सबसे बड़ा दर्द परिवार से दूर रहना, अपनी जमीन छोड़ना, विदेशी जमीन पर भेदभापूर्ण व्यवहार पाना और अपनों के न होने का भय हमेशा ही इनके लिए असहनीय रहता है। आज दुनिया के कोने कोने से इंटरनेट जुड़ा है लेकिन हमारा मन अपनों से अपनत्व से जुड़ा है जो लोग विदेश में रहकर भारत को गौरांवित करते है उन्हें सम्मान दिए जाते है। महात्मा गांधी जब  1893 में दक्षिण अफ्रीका (Africa) के नटाल प्रांत पहुंचे तो वहां पर उन्हें रंगभेदी नीति का सामना करना पड़ा। महात्मा गांधी चुप नहीं बैठे और इस नीति के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई क्योंकि ये पूरे भारतीयों के सम्मान की बात थी। कड़ी मेहनत और काफी संघर्ष के बाद महात्मा गांधी अपने इस मिशन में कामयाब हो गए और 22 साल बाद  अपनी इस जीत के साथ वो 9 जनवरी  1915 को भारत लौट आएं। उनके भारत आने की खुशी के बाद ही 2003 में पहली बार ये प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया।आपको बता दें कि 2003 से लगातार ये दिवस हर साल मनाया जा रहा है। अब तक देश की कई जगह पर इस का...

Arya Rajendran - Youngest Mayor of India

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उम्र 21 साल जहां mostly youngsters अपनी studies में लगे रहते हैं या college की पढ़ाई पूरी करके job searching में लगे रहते हैं वहीं केरल के तिरुअनंतपुरम की आर्या राजेंद्रन राजनीति के क्षेत्र में उतरी और देश की सबसे युवा Mayor बनी। इससे पहले कोल्लम निगम की सबिता बेगम (23) सबसे युवा Mayor थी।  आर्या राजेंद्रन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के एक राज्य समिति की सदस्य हैं और वामपंथी दल बालसंगम और Children's Wing की प्रदेश अध्यक्ष  भी हैं। आर्या All saints college की B.Sc के 2nd year की student है।  शहर को स्वच्छ, स्वस्थ और सुंदर बनाने के लिए उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता राजधानी शहर के कचरा प्रबंधन पर होगी। 

Book Review | अतरंगी जिंदगी |

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Book Name: Atrangi Zindgi  Author : Govind Singh Genre : Poetry ASIN:  B08M3P4LK5   Published date: 1 Nov. 2020 Language::  Hindi File size:  906 KB (Kindle) Pages : 72  Price -   ₹ 50    हमारी ज़िन्दगी हमेशा एक जैसी नही होती। वक़्त के साथ साथ हालात बदलते हैं। उम्र के साथ साथ तजुर्बा बढ़ता है। कभी सुख की घड़ी तो कभी दुःख का साया रहता है। अलग अलग परिस्तिथियाँ आती हैं और उन्ही परिस्तिथियों को यहाँ इस किताब में अलग अलग रंगों से तुलना की गयी है। 'अतरंगी ज़िंदगी' Author k en shabdo k sath kavita ki manodasha sabhi  pahluo pr prakash dalti hai dharm, prem, vairagy or akelepn k marmam tathyo ko ujagar krne ka kam govind be behd sachhe or itne Sundar aksharo me vyakt kiya h ki mano vo swaym zindgi ke in Kono m gum ho. जैसे मन के द्वंद्व- क्या तुम ईश्वर को मानते हो? आज उन सारे पहचानों को मिटा दू मैं, जो मुझे हिन्दू और तुझे मुसलमान बता दे।। जुल्फ़े जो झटक के सवारी उसने, बस फिर कौन सी क़यामत होनी बाकी थी। Ek tras sa Nazar aata h Jo mere ...

बुलंद उड़ान - मानसी जोशी

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     संदर्भ  _ कहते हैं कि मनुष्य के अंग ईश्वर का दिया एक वरदान है, हमारे सारे अंगो का शरीर के संचालन के लिए विशिष्ठ महत्व है उसके बिना हमारा शरीर अधूरा लगता है और यदि कोई जन्म से डिसेबल है तो जीवन उस व्यक्ति को श्राप ही लगता है, पर यदि जीवन के किसी पड़ाव में हम किसी दुघर्टना में हमारे अंग को यदि खो देते है तो आगे का जीवन तनाव और भयावहता से भर जाता है। ऐसा ही एक उदाहरण है मानसी जोशी जिसने 22 वर्ष की आयु में एक सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर गवा दिया।  क्या करती अब आगे वो सामने पूरी ज़िन्दगी पड़ी थी अपनी खोयी टांग की याद में निराश - हताश होकर बैठती क्योंकि बिना एक पैर के चलना तक मुश्किल था 45 दिन तक वो अस्पताल में रही कई ऑपरेशन ने उसे झिंझोड़ के रख दिया, रोज़ लोग उससे मिलते कहते बेटा नियति को कौन बदल सकता है अब जो तुम्हारे भाग्य में होता है वो होता है तो क्या भाग्य में लिखा है ये मानकर सोच में बैठे रहना सही था!  नहीं, बिल्कुल नहीं उसने ठान ली महज ऑपरेशन के 4 माह के अंदर अपने आर्टिफिशियल पैर के साथ ऑफिस वर्क शुरू किया उसने हाथ पर हाथ रखकर बैठने को ...